परिचय


गणितीय ब्लॉग "गणिताञ्जलि" पर आपका स्वागत है ! $\ast\ast\ast\ast\ast$ प्रस्तुत वेबपृष्ठ गणित के विविध विषयों पर सुरुचिपूर्ण व सुग्राह्य रचनाएँ हिंदी में सविस्तार प्रकाशित करता है.$\ast\ast\ast\ast\ast$ गणिताञ्जलि : शून्य $(0)$ से अनंत $(\infty)$ तक ! $\ast\ast\ast\ast\ast$ इस वेबपृष्ठ पर उपलब्ध लेख मौलिक व प्रामाणिक हैं.

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गणितीय ब्लॉग " गणिताञ्जलि" पर आपका स्वागत है !

प्रस्तुत ब्लॉग पूर्णतः गणित के विविध विषयों पर सुरुचिपूर्ण व सुग्राह्य रचनाएँ हिंदी में सविस्तार प्रकाशित करता है | प्रायः यह कहा जाता है कि गणित विषय पर हिंदी में लिखना असहज व कठिन है | परन्तु यह सर्वथा अनुचित व अतार्किक है | हिंदी में गणितीय अध्ययन अध्यापन व शोध कार्य अत्यंत सहज है | यह कार्य उनलोगों के लिए अवश्य कठिन है, जिन्हें या तो हिंदी का ज्ञान नहीं है या हिंदी में गणित का अध्ययन नहीं करना चाहते हैं | जिन्हें हिंदी का ज्ञान नहीं है, वे हिंदी में गणितीय शब्दों को देखकर घबराते हैं | उन्हें वे पारिभाषिक शब्द कठिन लगते हैं | यह स्वाभाविक है | यदि हमें अंग्रेजी का ज्ञान न हो, तो हमें अंग्रेजी में भी गणितीय शब्द कठिन ही लगेंगे | हिंदी भाषी क्षेत्रों में अंग्रेजी नहीं जानने वाले छात्रों को अंग्रेजी में गणित या अन्य विषयों का अध्ययन करने में उतनी ही कठिनाई होती है , जितनी कि अ हिंदी भाषियों को हिंदी में अध्ययन करने पर | प्रायः उन्हें शब्दकोश से अर्थ खोज खोज कर पढाई करते देखा जा सकता है | ऐसे में उनका अधिकांश समय यूँ ही व्यर्थ में चला जाता है और उन्हें विषय का समुचित ज्ञान भी नहीं होता है | वे लोग, जो हिंदी में गणित का अध्ययन नहीं करना चाहते हैं, उनका बहाना होता है कि हिंदी में पुस्तकें उपलब्ध नहीं हैं | यह बात एक हद तक सही भी है | परन्तु हमें यह सोचना होगा कि ऐसी स्थिति क्यों है ? ऐसी स्थिति इसलिए है कि हम हिंदी में अध्ययन अध्यापन करने, शोध करने व पुस्तकें लिखने के इच्छुक ही नहीं हैं | प्रत्येक व्यक्ति यही सोचता है कि उसके अकेले करने से क्या होगा | परन्तु यह गलत मानसिकता है | यदि कोई वक्तिगत स्तर पर शुरुआत करता है, तो उसे देखकर दूसरा व्यक्ति भी आगे बढ़ता है | एक दशक पहले ऐसा कहा जाता था कि कंप्यूटर और इंटरनेट पर हिंदी में कार्य करना असंभव है | परन्तु आज स्थिति कुछ और है आजकल हिंदी में कंप्यूटर पर कार्य करना आसान है | इंटरनेट पर ढेर सारी जानकारियाँ अब हिंदी में भी उपलब्ध है | ऐसा कुछ दृढ इच्छा -शक्ति संपन्न व्यक्तियों के ही कारण संभव हो सका है | किसी भी विषय का ज्ञान अपनी भाषा में ही सहजतापूर्वक प्राप्त किया जा सकता है | अपनी ही भाषा में मौलिक चिंतन किया जा सकता है | मौलिक चिंतन के बिना उच्च कोटि का शोध कार्य असंभव है | मैं यह नहीं कहना चाहता कि हमें दूसरी भाषा नहीं सीखनी चाहिए | हमें जितनी ज्यादा भाषाओँ का ज्ञान होगा, हमारा ज्ञान उतना ही उन्नत होगा | आज हिंदी में गणित या विज्ञान विषय पर एक भी मौलिक शोध पत्रिका प्रकाशित नहीं होता है | ऐसी स्थिति इसलिए है कि हम हिंदी में मौलिक शोध कार्य कर ही नहीं पा रहे हैं | हम अंग्रेजी साहित्य के बैसाखी के सहारे कुछ कुछ शोध -पत्र प्रकाशित कर नौकरी पाने तक अपना लक्ष्य रखते हैं | कुछ गिने चुने गणितज्ञों को छोड़ दें, तो अंग्रेजी में भी हम मौलिक व उच्च स्तरीय शोध नहीं कर पाते हैं | अंग्रेजी का सहारा लेकर ऐसा करना कठिन है | इसके पीछे और भी कई कारण है | हमारे यहाँ हिंदी में शोध की कोई व्यवस्था नहीं है और न ही कोई प्रोत्साहन दिया जाता है | अतः दृढ़ इच्छा शक्ति के साथ जमीनी स्तर पर कार्य करना आवश्यक है, जिससे कि हमें भी अपने भाषा की क्षमता पर गर्व हो और हम दुनिया के साथ कदम से कदम मिला कर चल सकें | आज कई देश जैसे कि जर्मनी, रूस, फ्रांस, इटली, चीन, जापान इत्यादि अपनी अपनी भाषओं में शोध कार्य कर रहे हैं , तो हम क्यों नहीं कर सकते है | आशा है यह ब्लॉग इस उद्देश्य की पूर्ति में एक अंश भी योगदान अवश्य करेगा |

आपके विचारों व सुझावों का सहर्ष स्वागत है !



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